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धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली पंचेन्द्रि अपज्जत असखगुणा ए जाण (४६) चोरिन्द्रि तेइन्द्रि (५१) वेइन्द्रि (५२) अपज विशेप वखाण । प्रत्येक वनस्पतिय(५३)निगोद(५४)पृथ्वी(५५) अप(५६)वाय(५७) चादर परजापत पाच असख गुणाय ॥१॥
हिवअपज्जत्ता बादर अनि अठावनेवोल (५८) एहवा हीज वनस्पति असंखगुणी इणतोल (५६) वलिय निगोद(६०)पुढवी(६१)अप(६२)वाय(६३) एच्यारे जाण ।
वादर अपजन्ता असंख्यात गुणा परिमाण ॥११॥ इहांथी सुक्ष्मअपज्जत अगनि असंख गुणेह (६४)
भू (६५) जल(६६)पवन (६७) इसाज विशेप धरेह । . अड़सट्टिमो इहा सूक्ष्म पन्जत तेउ गिणेस (६८) पुढवी (६६) अप ने (७०) वायु (७१) पज्जता सुक्ष्म विशेप ।१२।
___ ढाल-बेकर जोडी ताम राहनी।
बहुतरमे हिव वोल सूक्ष्म अपज्जत, जीव निगोदे जाणिवाए, (७२) । असंख्यात गुण एहएहथी पज्जत संख्यातेगुण आणवाए (७३)।१३। . अनतगुणा अधिकार इहाथी आगले भव्य अनंत गुणा सहीए(७४) । ए चिहुतरमो समकित नहीं लहै, मोक्ष कदे लहिस्ये नहीए ।१४।।
समकित पतितने(७५)सिद्ध(७६)अनंतागुणा,एलेखवल्यौ अनुक्रमेए। * चादर रूप पज्जत वनस्पतितणा(७७) जीव अनंत गुणा भमैए।१५। -