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धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली
ढाल -सफल ससार नी ॥
वार उपागमे प्रथम उववाइया, पनरसइ सूत्र परिमाण पिणपाइया। रायपसणिया वीय उपाग में, दोइहजार अठहोत्तर मन गमाह। त्रीय उपाग जीवाभिगम जाणिय, च्यार हजार सौ
सात परिमाणिय। चउथ श्रीपनवणा उवं गरकासिय, सात हजार सयसात
सत्यासिय ॥१०॥ पाचमौ जंवूपन्नति सुविसालए, चउसहस एकसौ वलिय छैतालए। चंदपन्नतिया छह वावीस सैं, सत्तम सूरपन्नति संख्या इस॥११॥ अट्ठम नाम निरयावली कप्पिया, नवम उवंग इमकप्पवडसिया। पुफिया दशम इग्यार पुफचूलीया, एम वन्नीदशा वारम
। अनुकूलिया ।।१२।। अट्ठम आदिथी उवंग पाचे मिली, शतक इग्यार संख्या इसी
साभली । बार उपांगनो मेल भेलौ वसै, सहस पच्चीस नैं वलि
सया सातसे ॥ १३ ॥ मूल सूत्र सौ सवा तेण मिलतौ कह्यो, विशेषआवश्यक सहस
पाचे लह्यो। दूसरौ मूलसूत्र सातसै दाखियै, दशवियकालिक भव्यजन
भाखियै ।। १४ ।। . पाखियसूत्र नै मूलसूत्र तीसरौ, तीनसैसाठि संख्या
मता वीसरौ।