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शास्त्रीय विचार स्तवन संग्रह ४५ आगम सख्या गर्मित वीर जिन स्तवनम्
देवा ना पिण जेह छ देव, सहु देविंद करै जसु सेव । ते नमु श्रीदेवाधिज देव, वचन सुणौ तेहना नितमेव ।।१।। ये सहु नै सुख ए जगदीस, वाणी तेहनी विश्वाचीन । प्राप्या आगम पेतालीस, सख्या नाम कहुं सुजगीस ॥२॥ श्री आचाराग पहिलो अंग, सहस अढी ए सूत्र सुचग। सुयगडाग बीजौ श्रीकार (सुविचार), सख्या इकवीससे सुविचार ३ तीजी ठाणा अग सुपति, सूत्रेसइत्रीसस सतसहि। चौथो समवायाग सुजाण, सोलेसै सतसठ श्लोक प्रमाण ॥४॥ पचम भगवती सूत्र सुधन्न, पनर सहस सतसेवावन्न । जाता धर्म कथा अग छह, हिंवणा पच हजारे दिठ्ठ॥५॥ सत्तम उपवासग दसासार, बोल्या अठसे ऊपरि बार। अट्ठम अतगड सूत्र कहेउ, श्लोक स ख्या आठस ने नेऊ ||६|| नवमौ अग अणुत्तर उववाय, इकसौ बाणु मानकहाय । प्रभव्याकरण दसमी परकास, एक सहस दोयसै पचास ॥७॥ सूत्र विपाके इग्यारम अग श्लोक वारसै सोल सग। अंग इग्यार सूत्र मिले थाय, पैंत्रीस सहस दोइ स प्राय ॥८॥