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श्री गुरुदेव स्तवनादि संग्रह
श्री गौतम स्वामी स्तवन
प्रहसम आलस तजि परी, चौखोचित्त करो रे, गचो एक रंग। गौतम गुण भणी रे || आंकणी ।। सेवो मन शुद्धे करी, भावे भरी रे. आणंद होवे अग |गौ०१|| नामे नित नवनिध मिलें संकट टल रे, दालिद नासे दुर । ध्यान धर्या धन है घणा,
न रहे मणा रे, पामे सुख भरपूर ।। गौ ॥ कामधेनु कल्पतम, चितामणि वन रे, नाम में तीन रतन्न । लब्ध अठावीस जेहनें,
गुण गेह नै रे, ध्वावे ते धन धन्न ।। गौ०३ ।। जिण दिनकर किरणा ग्रही, मन गहगही रे, चढ्यौ अष्टापद सोड। जिणवर विंब जुहारिया ,
। दुख वारियारे, च्यार आठ दस दोह ।। गौ०४॥ प्रतिवोध्या तापस वली, मन नी रली रे, पनरस ने तीन। एकणि पात्रे पारणो,
भव-तारणउ रे, लब्धि अंगूठ अखीण | गौ०५॥