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ऐतिहासिक व्यक्ति वर्णन
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गीतराउल अमरसिहजी री - बलोचारा माडला रौ सवत १७२६ जेठ माहे श्री जैसलमेर मे कयौ ।
कवित्त
जेठ तपते तपत जीव जगरा जिके,
आपणी ठाम सहु रहै अटकी । छोडि सहु काम ताके सहु छाहडी,
कीध तिणवार अमरेस कटकी ॥२॥ साभली वात बउलोच सीमा हुता,
धपटिया धेगुआ करे धाडौ । खलकती लूअ मैं खण्ड करिवा खला,
आवियो अमरसिंह तेथि आडौ ॥२॥ काटि खग झाटि अरि धाटि दहवाटि करि,
अधिक जस आपरे तखत आयौ। भलभली भेट भूपा तणी भोगवे,
सबल तण आज प्रतपै सवायौ ॥३॥ दौलति परजि सहु एम आसीस द्य,
जीपिया जग तिम वले जीपौ। दूथिया पाल सु दयाल दायाल हर,
दीपते सूर जिम सदा दीपो ||४||