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धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली
ग्रहणी रोग बताये पंच, तिण विधि सुदेणा तिण संच । पंच उदर हिरदै प्रकार, इहि विधि द्वादश डंभ विचार ।।१४।। . हिरदै रोग स्वास अरू खास, डंभ क्रिया तिहा पंच प्रकास | हुदै लीक अरू वर्तुल च्यार, दंभ अस्थि के मध्य विचार ।।१।। रूधिर वहै नासा मुखि जब, सीस डंभ वर्तुल इक तवै । डंभ कह्या सन्निपाते जोड, सीस रोग सीतागै सोइ ॥१६।।
परिहा
मृगी धनुप वात जव जाणिय,
दीजै खट खट डंभ क्रिया पिहिचाणियें । दो लवणे दोइ पाय एक पुनि तालवे,
परिहा गुदड़ी उपरि एक इणै विध चालवें ॥११॥ कटी वात जव जाइ न ओपध गोलीयें,
कटि नीचे दोइ डंभ वणावौ चूलीय । अंड वृद्धि जब होइ दंभ इक दीजिये,
परिहा, पाय अंगुली पास समझि विधि लीजिये ॥१८॥ वामी दिसि जो होइ कुरंड विथा घणे, -
दक्षिण दिसि द्यौ दभ तुरत पीड़ा हर्ण । 'पद अंगुल दश जाण तहा दश दंभ है,
परिहा, पंच पच दोइ जानु सधि विचि थभ है ।।१६।।