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11. जो जोवे वि वियाणति श्रजोवे वि वियाणति । जीवाऽजीवे वियाणंतो सो हु नाहिइ संजमं ॥
12 जया जीवमजीवे य दो वि एए वियाणई | तया गई बहुविहं सव्वजीवाण जाणई ॥
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जया गई बहुविहं सव्वजीवाण जाणई । तया पुण्णं च पावं च बंधं मोक्खं च जाणई ॥
जया पुण्णं च पावं च वंघं मोक्खं च जाणई । तया निव्विदए मोए जे दिव्वे जे य माणुसे |
15. जया निव्विदए भोए जे दिव्वे जे य माणुसे । तया चयइ संजोगं सव्भतरवाहिरं ॥
16. जया संवरमुक्कट्ठ धम्मं फासे प्रणुत्तरं । तया घुणइ कम्मरयं प्रवोहिकलसं कर्ड |
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17. जया घुणइ कम्मरयं श्रवोहिकलर्स कडे तया सव्वत्तगं नाणं दंसणं चाभिंगच्छई ॥
[ दशवैकालिक