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________________ * चौवीस तीथकर पुराण * रते हुये बज जंघ कुछ दिनोंमें अपनी राजधानी 'उत्पलखेट'नगरीको प्राप्त हुये। उस समय राजकुमार बज जंघ और उनकी नवविवाहिता पत्नीके शुभागमनके उपलक्ष्यमें उत्पलखेट नगरी खूब सजाई गई थी। 'महलोंकी शिखरों पर कई रङ्गोंकी ध्वजाएं फहरा रही थीं और राजमार्ग मणियोंकी बन्दनमालाओंसे विभूषित किये गये थे। सड़कों पर सुगन्धित जल सींचकर वेला, जुही, चमेली आदिमें बिखेरे गये थे। नववधू श्रीमतीको देखने के लिये मकानोंकी छतोंपर स्त्रियां एकत्रित हो रही थीं और-जगह जगह पर नृत्य, गीत, धादित्र आदिके सुन्दर शब्द सुनाई पड़ते थे। वनजंघने श्रीमतीके साथ राजभवन में प्रवेश किया। माता पिताके वियोगसे जब कभी श्रीमती दुखी होती थी तब बजघ अपनी लीलाओं और रस भरे शब्दोंसे उसके दुःखको क्षण एकमें दूर कर देते थे। श्रीमतीके साथ उसकी प्यारी सखी पण्डिता भी आई थी इसलिये वह श्रीमतीको कभी दुखी नहीं होने देती थी। धीरे धीरे बहुत समय बीत गया । इसी बीचमें क्रम क्रमसे श्रीमतीके पचास युगल अर्थात् सौ पुत्र हुए जो अपनी स्वाभाविक शोभासे इन्द्र पुत्र जयन्तको भी शर्मिन्दा करते थे। उन सबसे वज बाहु और बज जंघ आदिने अपने गृहस्थ जीवनको सफल माना था। किसी समय राजा वज्रबाहु मकानकी छत्तपर गैठे हुये आकाशकी सुषमा देख रहे थे। ज्योंही वहां उन्होंने क्षण एकमें विलीन होते हुये मेघ खन्डको देखा त्योंही उनके अन्तरङ्ग नेत्र खुल गये। वे सोचने लगे कि-"संसारके सभी पदार्थ इसी मेघ खण्डकी नाई क्षणभंगुर हैं। मैं इस राज्य विभूतिको स्थिर समझकर व्यर्थ ही इसमें विमोहित हो रहा हूँ। नर भव पाकर भी जिसने मोक्ष प्राप्तिके लिये, प्रयत्न नहीं किया वह फिर हमेशाके लिए पछताता रहता है" इत्यादि विचार कर बज्रबाहु महाराज संसारसे एक दम उदास होगये और बहुत जल्दी बज जंघके लिये राज्य दे, वनमें जाकर किन्हीं आचार्यके पास दीक्षा लेकर तप करने लगे। उनके साथमें श्रीमतीके सौ पुत्र, पण्डिता सखी तथा अनेक राजाओंने भी जिन दीक्षा ग्रहण की थी। उधर मुनिराज बज बाहु कुछ समय बाद केवल ज्ञान प्राप्त कर सदाके लिये संसारके बन्धनोंसे छूट गये। और इधर पिता तथा पुत्रोंके बिरहसे शोकातुर व जंघ नीति पूर्वक प्रजाका
SR No.010703
Book TitleChobisi Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherDulichand Parivar
Publication Year1995
Total Pages435
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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