________________
Histoldsketat katatatakitattatotatute thatakoteestate tatatatay १६० कविवरवनारसीदासः ।
.
Ex.inkskskskitutext.
anteetituteketakikatrikak-intatutetetakindiatristaketictukrteindixrkeka
सडकपर गांठ लगाते हुए नीचे गिर पड़ी, परन्तु अब नीचे देवा तंब कुछ भी पता नहीं लगा, न जाने किस उठाईगीरेक हाथमें सफाई पड़ गई । इन एकपर एक आई हुई अनेक आपत्तियों से बनारसीका
कोमलहृदय कम्पित हो गया ! और संध्याको खूब जोरमे वर चढ४ आया । चिन्ताके कारण बीमारी बढ गई । वैद्यने दश कोरी संधन
कराई, पीछेसे पथ्य दिया। पथ्यके पश्चात् अशकिताके कारण है। अ महीने भर तक बाजारका आना जाना नहीं हुआ। इस बीच पिताके अनेक पन आये, परन्तु किसीका मी उत्तर नहीं दिया।। तो भी वात छुपी नहीं रही । उत्तमचन्द भाहरी वो आपके बडे । बहनेक थे, उन्होंने खरगसेननीको अपने पत्र में लिख भेजा कि
बनारसीदास जमा पूंनी सव सौक भिन्डारी हो गये हैं। इस अखवरले खरगसेनजीके घरमे रोना पीटना होने लगा। उन्होंने
अपनी स्त्रीको सम्मति से बनारसीको घरका मौर बांधा था, इसलिये लीसे कलह पूर्वक कहने लगे कि "मैं तो पहिले ही जानता
था कि, पूत धूळ लगावेगा, परन्तु तेरे कहने से तिलक किया था। ३. उसका यह फल हुबा
कहा इमाय सव थया, भया भिखारी पूत ।
पूंजी खोई वेहया, गया वनज गय सूत ॥ ३३१ ॥ । यहां वनारसीदासजी जो कुछ वस्तु पासम थी, सो सब बेच १२ के खाने लगे, और इसतरह जब पासमें केवल दो चार टके रह । १ गये, तब हाट बाजारका जाना भी छोड दिया । दिन व्यतीत ।
.ki.kutatertaint-tant.titutntextu.tutixantya