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बनारसीविलासः २२५ wwwmaunaananmunonumuwwwwwww.mm विशुद्धरूप गति, थिरता अधिरता शक्ति, मंदी तीव्ररूप * जाति, द्रव्यप्रमाण सत्ता । परंतु एक विशेष जु मंदताकी है स्थिति चतुर्दशम गुणस्थानकपर्यन्त । तीब्रताकी स्थिति पंचमगुणस्थानक पर्यन्त । यह तौ दुहुको गुण मेद न्यारी न्यारी कियौ । अब इनकी व्यवस्था न ज्ञान चारित्रके आधीन न । चारित्र ज्ञानके आधीन । दोऊ असहाय रूप यह तो मर्यादा है। चंध।
अथ चौभंगीको विचार-बानगुन निमित्त
चारित्रगुण उपादान रूप ताको व्यौरीएक तो अशुद्ध निमित्त अशुद्ध उपादान दूसरो अशुद्ध निमित्त शुद्ध उपादान । तीसरो शुद्ध निमित्त अशुद्ध उपा* दान, चौथो शुद्ध निमित्त शुद्ध उपादान, ताको व्यौरीसे सूक्ष्मदृष्टि देइकार एक समयकी अवस्था द्रव्यकी लेनी समुच्चॐ वरूप मिथ्यात्व सम्यक्त्वकी बात नाहीं चलावनी । काह समै ।
जीवकी अवस्था या भांति होतु है जुजानरूप ज्ञान विशुद्ध चारित्र, काहू समै अजानरूप ज्ञान विशुद्ध चारित्र, काहू समै जानरूप ज्ञान संकलेस रूप चारित्र, काहू समै अजानरूप ज्ञान । संकलेस चारित्र, ना समैं अजानरूप गति ज्ञानकी, संकलेसरूप ॐ गति चारित्रकी तासमैं निमित्त उपादान दोऊ अशुद्ध काहसमैं ।
अजानरूप ज्ञान विशुद्ध रूप चारित्र तासमै अशुद्ध निमित्त शुद्ध उपादान । काहू समै जानरूप ज्ञान संकलेसरूप चारित्र तासमें शुद्ध निमित्त अशुद्ध उपादान ! काहूं समैं जानरूप ज्ञान
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