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बनारसीविलासः
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अथ मिथ्यामतवाणी.
मनहर।' ' नारायण देवको कहें कि परनारी रत, __ब्रह्माको कहैं कि इन कन्या निज वरी है। सिद्धको कहें कि फिर फिर अबतारं धरै,
शंकरको कहें याकी मारी सृष्टि मरी है। अचला कहावै भूमि सो कहें पताल गई, ___ अनन्तं बाराहरूप धरिक उद्धरी हैं। ऐसी मिथ्यामतवानी मूडनके मनमानी,
पापकी कहानी दुखदानी दोषभरी है ॥ १ ॥ संतान उपजै नर देवके संजोगसेती,
कनककी लंका क. अगनिसों जरी हैं। शास्वतो सुमेरु सो उखारि कहें मथ्यो सिन्धु,
इन्द्रको कहत गौतमकी नारि धरी है ॥ भीम डारे हाथी ते अकाशमें फिर सदीव, ___ वायस भुशुंड अविनाशी काया करी है।
ऐसी मिथ्यामतवानी मूढनके मनमानी, ___ पापकी कहानी दुखदानी दोषभरी है ॥ २ ॥ मैलकी बनाई मुद्रा सो कहें गणेश भयो, सरिताको कहैं सूरजसों अवतरी है।
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