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कविवरवनारसीदासः ।।
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जोनपुरके शाह। १ मुलतानउलशक ख्वाजाजहांने हिन्दुओंपर जीत पाकर जोनपुरमें अपनी राजधानी स्थापित की। उसका राज्य परगने कोल से तिरहुत तक था । वह सन् ८०२ (संवत् १४५६ । ५७) में मरा ।। उसके संतान नहीं थी, करनाल नाम १ लइकेको बेटा बनाया था। वहीं उसके पीछे जोनपुरका बादशाह हुआ और मुबारिकशाह नाम रक्खा ।
मुवारिकशाह-तुगलकोंकी बादशाही दिन २ गिरती देखकर पूरा खतंत्र होगया । २ वर्ष पीछे सन् ८०४ (संवत् १४५८१५९) मे मरा। ३ संतान इसके भी नहीं थी, भाई तख्तपर बैठा। ॐ इब्राहीमशाह (मुबारिकशाहका भाई)-इसके समयमें दिल्ली तुगलकोंसे सैयदोंने ले ली । पहिले सैयद खिजरखां और फिर सैयद मुहम्मदशाह वहाँका बादशाह हुआ । इब्राहीम दोनोंसे ही लड़ता लड़ता सन् ८४४ (संवत् १४९६ में) मर गया।
४ महमूदशाह (सुलतान इब्राहीमका बेटा)-इसके समयमें दिलीका बादशाह मुहम्मदशाह भर गया और अलाउद्दीनशाह वैठा। अमीरोंने उससे नाराज होकर महमूदशाह को बुलाया, तब अला. उद्दीन पंजावके हाकिम बहलोललोदीको दिल्ली सौंपकर बदाऊ से चला गया । बहलोलसे और महमूदसे लडाई होती रही, निदान महमूद
सन् ८६२ (संवत् १५१४१५ में) मर गया। वेटा न था, भाई तख्त पर बैठा।
५ मुहम्मदशाह (महमूदका भाई)-इसने चहलोलसे मुलह कर ली, * परन्तु फिर लड़ाई होने लगी और मुहम्मदशाह अपने भाइयों के झगड़ेम
मारा गया। ५महीने राज्य किया। उसका भाई हुसेनशाह बादशाह हुआ। ॐ हुसेनशाह-इससे और बहलोलसे भी बड़े २ युद्ध हुए, निॐ दान बहलोलने जोनपुर लेकर अपने बड़े बेटे वारखुकको दे दिया। हुसे
नशाह विहारमें चलागया। * चारखुकशाह लोदी-सन् ८९४ (संवत् १५४५।४६ ) में बहलोल
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