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जैन ग्रन्थरवाकरे
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उलदीन मुहम्मदशाह के नामसे ततपर बैठा । इमीको मुहम्मदतुगलक भी कहते हैं। यह ११ मुहर्रम सन् ७५२ (चैतदी संवत् १४०७ ) को सिंधमें मर गया ।
मुहम्मद तुगलक के बेटा नहीं था, इसलिये उसके कान सालार रज्जबका बेटा फीरोजशाहबारक बादशाह हुआ। इसने सन ७७४ ( संवत् १४२९ ) में बंगालेसे लोटते हुए, गोमतीनदीके तीरपर १ अच्छी समचौरस जमीन देखकर वहां शहर बसाया, और उसका नाम अपने चचेरे भाई मुहम्मदतुगलक के असली नाम मलिकजोना के नामसे जोनपुर रक्खा, क्योंकि उसने सपनें मलिकजोनाको यह कहते हुए देखा था कि, इस दशहरका नाम मेरे नामपर रसना ।
फीरोजशाह १३ रमजान सन् ७१० ( भार्दा मुदी १५ संवत् १४४५ ) को ९० वर्षका होकर मरा। उसका पोता दूसरा ग्यासुद्दीन तुगलक बादशाह हुआ। यह २१ सफर सन् ७९१ (फागुण यदी ८ सं० १४४५) को मारा गया । उसका बचेराभाई अबूबक उसकी जगह बैठा । वह भी २० जिलहिन सन् ७६१ (पौष वदी ७ संवत् १४१७ ) को मर गया। तब उसका काका नासिरउलदीन मुहम्मदशाद चादशाह हुआ। वह १७ वीरलअव्वल सन् ७९६ (फागुण वदी ४ संवत् १४५० ) को मर गया । उसका बेटा हुमायूंखां १९ को मृत पर बैठा और १|| महीने पीछे ही मर गया। तब उसके भाई नासिरउददीन महमूदशाहको ख्वाजा जहां वजीरने उसकी जगह बैटाया। इसने पूर्व के हिन्दुओं का स्वतंत्र हो जाना सुनकर ख्वाजाजहांको उनके ऊपर भेजा । यही पहिला बादशाह जोनपुरका हुआ। इसका नाम नलिक सरवर था और फीरोजके समयमं स्योटीका दारोगा था। नाजिरउद्दीनमुहम्मदशाहने इसको वजीर बनाकर ख्वाजाजहांका निताय दिया था और जब नाविरउद्दीन महमदशाहने इते पूर्वको भेजा तो सुलतानुलशर्कका खिताब भी उसको दे दिया था, जिसका अर्थ होता है पूर्वका
बादशाह |