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trittent.ttatokirtattattatatatttist tistians १०४ जैनग्रन्थरत्नाकरे
zameniano wao ___ वलभद्रनाम-दोहा। विजय अचल बल धर्मधर, सुप्रभ सुदर्शन नाम । सुनंदि नंदिमित्रेश रघु, नाथपदम नवराम ॥ १५ ॥
इति श्रीशठिशलाकापुरुषोंकी नामावली.
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___ अथ मार्गणाविधान लिख्यते.
दोहा। वन्दुहुं देव जुगादिजिन, सुमरि सुगुरु मुखभाख । चवदह मारगणा कहहुं, वरणहुं वासठ साख ॥ १॥
चौपाई। सजम भव्य अहौर काय । दरशेन ज्ञान जोग गति कार्य लेश्या समेकित सैनी वेद । इन्द्रिय सहितचतुदर्शभेद ॥ २ ॥ ए चौदह मारगणा सार ।इनके वासठ भेद उदार ॥ बासठ संसारी जिय भाव । इनहिं उलंधि होय शिवराव ॥३॥ संजम सात भव्य द्वै भाय । द्विविधि अहारी चार कषाय ॥
दर्शन चार आठविधि ज्ञान । जोग तीन गति चारविधान १ ३ पट काया लेश्या घट होय । पट समकित सैनीविधि दोय ॥ वेद तीनविधि इन्द्रिय पंच । सकल ठीक गति वासठ संच ५। इनके नाम मेद विस्तार । वरणहुं जिनवानी अनुसार ।। बासठरूप खांग धर जीव । कर नृत्य जगमाहिं सदीव ॥६॥
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