________________
www
WMLA-RAMAY
atakatat, t-tnttstatuta
trtttttitatetatikntetik txekutikutukatetttitutett tittatutut
जैनग्रन्थरलाकरे
चौपाई। आदीश्वर युगादि शिवगामी । तीनलोकजनअंतरजामी || ऋषभदेव ब्रह्मा जगसाखी । जिन सव जैनधर्मविधि भाखी ४९ . ऋषभदेवके अगनितनाऊ । कहीं कहां लौं पार न पाऊं ॥ वे अगाध मेरी मति हीनी । तातें कथा समापत कीनी ॥५०॥
पदपद। ३ इहिविधि ब्रह्मा भये, ऋषभदेवाधिदेव मुनि ।
रूप चतुर्मुख धारि, करी जिन प्रगट वेदधुनि ॥ तिनके नाम अनंत, ज्ञानगर्भित गुनगूझे ।
मैं तेते वरणये, अरथ जिन जिनके बूझे ॥ में यह शब्दब्रह्मसागर अगम, परमब्रह्म गुणजलसहित । किमि लहै बनारसि पार पद, नर विवेक भुजवलरहित ॥५१॥
इति वेदनिर्णयपंचासिका.
Stutet-titutiktatutetatitutituttitutextitut.XXutstatutetrit.tit-krt.tumurtitutit2
ANK
MENU
AN
ल
सालyi