________________
Harktetattatutatistatitutetusax kakirkuttakitak.it
३२ जैनग्रन्थरत्नाकरे
etter tretetectoratetetten tieteetatute tretetet e tretietrtekatter
रोडक छन्द। कुमति कुरीत निवास; प्रीत परतीत निवारन । रिद्धसिद्धसुखहरन, विपत दारिद दुख कारन ।। परवंचन उतपत्ति; सहन अपराध कुलच्छन । सो यह मिथ्यावचन, नाहिं आदरत विचच्छन ॥३१॥
शार्दूलविक्रीढित ! तस्याग्निर्जलमर्णवः स्थलमरिमित्रं सुराः किङ्कराः
कान्तारं नगरं गिरिहमहिर्माल्यं मृगारिमगः।। पातालं विलमत्रमुत्पलदलं व्यालः शृगालो विपं पीयूपं विपमं समं च वचनं सत्याञ्चितं वक्ति यः ३२
घनाक्षरी। पावकः जल होय; वारिधः थल होय,
शस्त्र कमल होय; ग्राम होय वन । कूप बिवर होय; पर्वततें घर होय, ___ वासवः दास होय; हितू दुरजनतें ॥ सिंघतै कुरंग होय; व्याल स्यालअंग होय,
विष पियूप होय; माला अहिफनतें । विषमतें सम होय; संकट न व्यापै कोय, एते गुन होय सत्य; बादीके दरसलें ॥ ३२ ॥ अदत्तादान अधिकार ।
मालिनी। तममिलषति सिद्धिस्तं वृणीते समृद्धि
स्तमभिसरति कीर्तिमचते तं भवातिः।
Htist.isk.k.kot.kok.tutatikukt.kot.tituttitutet.titutezt.titut.
k
।
t ettet
i.kuttekxtukikikikrkot
trete tre
YTyayaiyy
Pirya म
+
+