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सुभाषितमञ्जरो
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अर्थ - यदि घर मे धन है तो स्त्रिया मरे हुए पति के प्रति कभी शोक नही करती। यदि धन नहीं है तो आजीविका की बुद्धि से प्रति-दिन बार बार स्मरण कर रोती हैं फिर कुछ महीनो मे उसका नाम भी भूल जाती हैं। इस प्रकार भाई भी उसको दाहक्रिया कर अपने अपने कार्य की चिन्ता म निमग्न हो कुछ दिनो मे उसका नाम भूल जाते हैं ।।६४६।। नोट - यह श्लोक स्वार्थपरता प्रकरण का है।
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मान निषेधनम
मानी क्या करता है ? कायं कृन्तति सद्गुणांस्तिस्यति क्लेशं करोत्यात्मना मतु वाञ्छति ना तनोत्यविनयं लोकस्थितिं प्रोज्झति । मान्यं द्वष्टि जनं विमुञ्चति नयं शेते न भुङक्त सुखं मानी मान-शेन कष्टपतितः पापं चिनोत्याततम् ॥१४६॥ अर्थ - मानी मनुष्य काय को छेदता है, सद्गुणो को छिपाता है, अपने आप क्लेश करता है मरने की इच्छा करता है, अविनय को विस्तृत करता है, लोक मर्यादा को छोडता है,