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श्रीः। - नूतन कविता। ज्ञानानन्दरत्नाकर। , द्वितीय भाग मुंशीनाथूरामजिनभक्तको
यथा नाम तथा गुण ।
. इसमें . ASH - अत्युत्तम मनोरंजन दुःख भंजन लावनी और अनेक
प्रकारके पद, भनन ज्ञानवर्द्धक सभ्यलोगोंके उपकारावं वर्णित हैं
जिसको खेमराज श्रीकृष्णदासने
बम्बई निज "श्रीवेंकटेश्वर” यन्त्रालयमें
छापकर प्रकट किया। :संवत् १९५२ शके १८१७ . .
इस पुस्तकका रजिष्टरी हक यन्त्राधिकारीने स्वाधीन रक्खा है.
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