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संस्कृतटीका-हिन्दी-गुर्जरभाषान्तरसहिता
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जेम मनुष्यनी प्रकृतिमां पण शरदी तथा गरमी होय छे, तेम पाणी नी प्रकृतिमां पण शरदी तथा गरमी होय छ, जेम मनुष्यनु शरीर शियाळामा अकडाइ जाय छे, तेम शियाळामा तळाव- पाणी पण अकडाई जइने बरफ बने छे, जेम मनुष्य बाल्यावस्था, युवावस्थाने वृद्धावस्था जेवा नवां रूप धारण करे छे, तेम पाणी पण वराळ-वरफ ने वरसाद आदि रूप धारण करे छे, जेम मनुष्यनो देह माताना गर्भमां पाके छे, तेम पाणी पण छ मास वादळामां गर्भ रूपे पाकीने वर्षानुं रूप धारण करे छे, जेम मनुष्यनो काचो गर्भ कोईक वार गळी जाय छे, तेम पाणीनो पण काचो गर्भ गळी जाय छे, जेने करा पया कहेवाय छे,
तेजस्काय-जेम मनुष्य इवासोश्वास सिवाय जीवी न शके, तेम अग्नि पण श्वासोश्वास सिवाय जीवी शकतो नथी, जेम तावमा मनुष्यनुं शरीर गरम रहे छे, तेम अमिना जीवो पण गरम होय छे, मरण पामवाथीं मनुष्यनुं शरीर ठंड पडी जाय छे, तेम अमिना जीवो पण मरी जवा थी ठंडा पडी जाय छ, जेम आगीयाना शरीरमा प्रकाश होय छे, तेम अभिना जीवोमा पण प्रकाश होय छे, जेम माणस चाले छे, तेम अनि पण चाले छे, एटले अग्नि फेलाइने ते आगळ वधतो जाय छे, जेम मनुष्य ऑकसीजन [प्राणवायु] हवा ले छे, ने कार्वन [विषवायु] वहार काढे छे, तेम अग्नि पण ऑकसीजन हवा लइने कार्बन हवा बहार काढे छ ।
वायुकाय-हवा हजारो गाऊ सुधी स्वतन्त्र रीते चाली शके छे, हवा पोताना चैतन्य वळथी मोटा विशाळ वृक्ष तथा मोटा महेलोने पाही नाखे छे, हवा पोतानुं शरीर नानामांथी मोट वनावे छे, वर्तमानकाळमा विज्ञानिओए शोध करीछे, के हवामां थेकसस नामनां सूक्ष्म जंतुओ उडे छे ने ते एटला सूक्ष्म छे के, सोयनी अणी जेटला भागमा एक लाख जंतुओ सुखेथी आराम पूर्वक वेसी शके छे ।
वनस्पति काय-मनुष्यनो जन्म माताना गर्भमा रहया पछी थाय छे, तेम वनस्पतिना जीवो पण पृथ्वीमाताना गर्भमा अमुक समय रहया पछी वहार नीकळे छे, जेम मनुष्यनुं शरीर नित्य वधे छे, तेम वनस्पतिनुं शरीर पण नित्य वधे छ, जेम मनुष्य बालावस्था-युवावस्था ने वृद्धावस्था भोगवे छे, तेम त्रणे अवस्था वनस्पति पण भोगवे छे, जेम मनुष्यना शरीरने कापवाथी लोही नीकळे छे, तेम वनस्पतिना शरीरने कापवाथी माथी प्रवाही पदार्थ विविध रंगना नीकळे छ,