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, वीरस्तुतिः । । । -
व्रत शुद्ध पाली, वीर० ॥ ७ ॥ ऋषभदत्तने देवानन्दा माता, नयणां निरखी पावें साता, दोऊ मुक्तिगए दु.ख दिया टाली,' वीर० ॥ ८॥ सिद्धार्थराज त्रिशला.राणी, साथे संथारोकियो समता आणी, १२ वें देवलोके उपज्या चाली,, वीर० ॥९॥ जिण रातमें वीरे मुक्ति पामी, केवलज्ञान लियो गोतमखामी, 'ज्यारों जापजपो नवकरवाली, वीर० ॥ १० ॥ सुधर्मा खामी हुआ पाट धणी, जारी यशकीर्तिने महिमा घणी, जिनमार्ग दियो उजवाली, वीर० ॥ ११॥ ज्यारे पाटे जंवू वैरागी, आठराणी परणीने,प्रभाते त्यागी । . सोला वर्षांमें काटी कर्म जाली, वीरः ॥ १२॥ आठों भामिनी वैरागे भीनी, प्रातः पियासाथे। दीक्षालीनी,' माता पिताने संयम पण लियो झाली, वीर०
॥१३॥ प्रभव पण राजाजो बेटो, जिणरो जंबू कवर से हुओ मेटो, । । पांचसे सुं वैराग्य पाया तत्काली, वीर० ॥ १४ ॥ वीश जिन सम्मेदशिखर सीझा, मष्टापद गिरनार। दोय सीझा, वासुपूज्य सीझा चम्पा चाली, वीर० ॥ १५ ॥ महावीर गए मुक्ति पावापुरी, कार्तिक वदी अमावस्याने मुक्तिवरी सुनता मणता मंगल माली, वीर० ॥ १६ ॥ दिन दिवालीरोपायो. टाणो; रात्रि भोजन पण नहीं खाणो, ज्यारो जापजपो शीलवतपाली, वीर० ॥१७॥ गुरुचेलारी जोडी सूर्यशशी, ऋषि रायचंद्र कहैं मारे मनमेवसी, युक्तिसे जोड ' जोडी टंकसाली, वीर० ॥ १८ ॥
(दिवालीका दिन बडा). . :- · । दोहा-भजन करो भगवान् का, गणधर गोतम स्वामी; जग प्रगटे तारन तरन, नित उठ! करो।प्रणामि ॥१॥दीवाली। दिन आवियो, राखो-धर्ममें सीर, गोतमा केवल' पामियो, "मुक्ति गये महावीर२ ॥ दीवाली का दिन बडा, मत कर मोटे.पॉफं, निन्दा विक्रया परहरो, करोजिनजीरो' जाप ॥ ३॥ सीवाली दिन आवियो। ॥टेकमा सामायिक पोषध करो, पडिकमणो दोकाल, इमं आतैम उजवालजो झूमत कसे ख्याल.॥ ४ ॥ नव मल्लीने नवलच्छी, देशाअठरानाारस्य, वीर समीपे आविने, दीघा पौषध ठायः ॥१५ कार्तिक
तंदी 'अमावस्या, टाल्या आतम दोष भव जीवांने त्यारने, वीर पहुंता मोक्ष 11॥६॥देवदेवी घणा आविया लागी जगमग ज्योति । अचरज एक.थयो तिहां, ५ - रत्ना तणो उग्रोत ॥॥ मोह क्रमने टालने, ध्यायो शुक्लजः ध्याना अनिल