________________
सरकारी महकमें कम हो जाते हैं और देशके बहुतसे सुयोग्य और सुशिक्षित पुरुष सरकारी गुलाम होनेसे बच जाते हैं । सरकारी महकमें अधिक होनेसे सारे शिक्षित पुरुष उनमें भरती होनेका प्रयत्न करते हैं और वे अपने ऊपरके अधिकारियोंके गुलाम हो जाते हैं । इससे अन्यायोंका प्रतिबन्ध नहीं हो सकता। इस विषयका निरूपण मिलने अपने स्वाधीनता नामक ग्रन्थके अन्तमें किया है।
लेख, पत्रसम्पादन और पिताकी मृत्यु । सन् १८३३ और ३४ में मिलने कुछ लेख मासिकपत्रोंमें लिखे। ये लेख तात्कालिक विषयोंपर लिखे गये थे और उन्हें पीछेसे संग्रह करके उसने पृथक् पुस्तकाकार भी छपा लिया था । सन् १८३४ में उसने और उसके पिताके कुछ मित्रोंने मिलकर 'लन्दन रिव्यू' नामका मासिकपत्र निकाला । इसके निकालनेका मुख्य उद्देश 'रॉडिकल ' पक्षके विचारोंका समर्थन और प्रसारण करना था । तबसे सन् १८४० तक उसने उसमें बहुतसे लेख लिखे । उसका पिता भी जब तक बीमार नहीं पड़ा तबतक उसमें बराबर लेख लिखता रहा । मिल इस पत्रका एक प्रकारसे सम्पादक ही था। पर उसके विचारोंमें पिताके विचारोंसे अन्तर पड़ गया था; इसलिए वह अपने लेखोंके नीचे अपने नामका पहला अक्षर और पिताके लेखोंके नीचे उसके नामका पहला अक्षर प्रकाशित कर देता था, जिससे पाठक यह समझ लेवें कि अमुक लेखमें जिस मतका प्रतिपादन हुआ है वह सम्पादकका नहीं, किन्तु किसी व्यक्तिका है। जैसा कि पहले कहा जा चुका है, वास्तवमें बाप बेटेके मतोंमें जितना अन्तर दिखता था उतना नहीं था और आश्चर्य नहीं कि यह बात दोनोंके ध्यानमें