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मन भी धवल रखिए !
दिल खोल कर दान दो । देने से कभी लक्ष्मी घटती नहीं है। बल्कि उत्तरोत्तर बढ़ती ही है । क्योंकि शास्त्रकार भी कहते हैं कि 'लक्ष्मी दानानुसारिणी' अर्थात् लक्ष्मी तो दान का अनुसरण करती है। जो भी जैसा दान करता है वह भी उसके पीछे-पीछे उसी के अनुसार जा पहुंचती है। इसलिए दिल को और हाथ को सदा ऊंचा रखो । मन को पवित्र रखो, नीति को साफ रखो। किसी के साथ भी कपट व छल पूर्ण व्यवहार मत करो, यही मानव देह पाने का सार है । वि० सं० २०२७ कार्तिक वदि ३
जोधपुर