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सिंहवृत्ति अपनाइये !
३२१ वचन काज श्री राम लंक वभिषण थाप्यो वचन काज जग देव शीश कंकाली आप्यो। वचन जाय ता पुरुष को कर से जीभ ज कट्टिये
वैताल कहै विक्रम सुनो चोल वचन किम पलटिये ॥१॥ संसार में वही महामानव कहलाने का अधिकारी है जिसका कि हृदय सिंह के समान निर्भय है, जो आपत्तियो से नहीं घबराता है और न किसी का सहारा चाहता है। यदि आप लोग इस सिंहवृत्ति को धारण करोगे तो नर से नारायण और भक्त से भगवान बनने में कोई देर नही लगेगी। वि० सं० २०२७ कार्तिक शुक्ला ११
जोधपुर