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सफलता का मूलमंत्र : आस्था
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मुक्त कर दिया है। श्रावक ने पूछा- उस हीरे को आपने कहाँ रख दिया था ? महात्मा वोले-भाई कपड़े की एक धज्जी में बांध करके इसी पाटे के इस गड्ढे में रख दिया था। और जब रत्न मेरे पास था, तब भाई, मै पांचवें महाव्रत का 'मिच्छामि दुक्क' कैसे देता? परन्तु आज किसी भले मनुष्य ने उसे उठाकर साता उपजा दी सो प्रतिक्रमण बोलने में उल्लास रहा और पांचवें महाव्रत की शुद्ध हृदय से 'मिच्छामि दुक्कड' दी है।
गुरु के मुख से सारी बात निश्छलभाव से सुनकर श्रावक मानन्दित होता हुआ विनय पूर्वक बोला-गुरदेव, आप महापुरुप हैं, आप जैसी निर्मल आत्मा मेरे देखने में कभी नहीं आई। परन्तु मैं ही नीच हूं क्योंकि मैं ही उस हीरे को ले गया हूं। यह सुनकर महात्मा जी बोले-भाई, तू पापी नहीं, किन्तु भला आदमी है, क्योंकि तूने मुझे पाप-पंक में डूबने से बचा लिया है।
भाइयो, इस कथानक के कहने का अभिप्राय यह है कि यदि ऐसे पुण्यवान श्रावक हों जो कि अपने धर्म मार्ग से डिगते हुए गुरु को वापिस उसमें दृढ़ करदें, तो वह शिष्य गुरु के ऋण से हलका हो सकता है ।
इसी प्रकार जिस साहकार सेठ का कारोबार दिन पर दिन इव रहा है और वह व्यक्ति-जिसे पहिले सेठने सर्व प्रकार की सहायता देकर उसका उद्धार किया था वह आकर सेठ की सहायता करे और तन मन धन लगा कर सेठजी को डूबते से बचावे तो वह उसके ऋण से हलका हो सकता है ।
वाघुओ, जिसके हृदय में धर्म के प्रति और अपने कर्तव्य-पालन के प्रति ऐसी दृढ़ आस्था हो, वही व्यक्ति गुरु के ऋण से, मां-बाप के ऋण से और समाज के ऋण से हलका हो सकता है। परन्तु आज हम देखते हैं, कि लोग ठीक इसके विपरीत काम करते है। यदि किसी उत्तम कार्य को प्रारम्भ करने की योजना बनायी जाती है तो आज के श्रावक सहायक होने के स्थान पर बाधक बनते है और उस कार्य में नाना प्रकार की वांधाएँ खड़ी करने का प्रयत्न करते है और उस कार्य का श्रीगणेश होने के पूर्व ही योजना को ठप्प कर देते हैं। किन्तु जो भास्थावान होते हैं, वे जिस कार्य को करने का निश्चय कर लेते हैं, वे उसे करके ही छोड़ते है । भर्तृहरि ने नीतिशतक मे कहा भी है कि
प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचः, प्रारभ्यविध्तविहता विरमंतिमध्याः । विघ्नः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमाना',
प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति । भाई, जो नीच या अधम जाति के मनुण्य होते हैं, वे तो विघ्नों के भय से कार्य का प्रारम्भ ही नहीं करते है ? किन्तु जो उत्तम मनुष्य होते हैं वे जिस