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स्तवनावली ।
स्तवन चोवीशमुं।
___॥ राग दादरो॥ वढ्योजी मम नाग बढ्योजी मम नाग । निरखी जिन विवको बढ्योजी ॥ टेक ॥
मिट गइ फिकरी करम अघ आज, जिनँद जस अखीयां जगत सिर ताज ॥ ब० ॥ १ ॥ सटक गश् ममता कुगुरु नश् लाज, पाखंम गढ खमनी जिनंद किरपाज ।। व॥२॥ नटक मरी जमता आनंद खिम्यो आज, जिनंद वामानंदको थातम जग राज ॥ ३० ॥३॥
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स्तवन पच्चीशमुं।
॥ राग दादरो॥ करोजी नरपूर करोजी जरपूर, आनंद सुख
कंदको करोजी ॥ टेक ॥ वामाजीके नंदा करम दल चूर, दया दिल रखीया कुगति करो दूर ॥०॥१॥ सरण तुम सीनो काटोजी नव मूर, खूलेजी मोरी अखीयां जगत जैसे सूर ॥क० ॥२॥ सजल नई चिंता . नयोजी सुख पूर, आनंद दिल रखीया तिमिर हरो पूर ॥ क० ॥३॥