________________
-
The
२४६ श्रीयशोविजयोपाध्याय कृत-- साध्वीनो परिवाररे ॥ श्री० ॥ ३॥ सुर मातंग ने देवी शांता, प्रज्जु शासन अधिकारीरे । ए प्रजुनी जेणे सेवा कीधी, तेणे निज दुरगति वारीरे ॥ श्री० ॥४॥ मंगल कमला मंदिर सुंदर, मोहनवटली कंदोरे । श्रीनय विजय विबुध पय सेवक, कहे ए प्रजु चिर नंदोरे ॥ श्री० ॥५॥
श्रीचंपन्न जिन स्तवन । ( वादल दह दिशि उनह्यो सखि, ए देशी )
श्रीचं प्रन जिनराजीओ, मुह सोहें पुनिमचंद । लंडन जस दीपे चर्नु,जग जन नयनानंदरे, प्रजु टाले नवनय फंदरे, केवल कमला अरविंदरे, ए साहिब मेरे मन वस्यो॥ १ ॥ महसेन पिता माता लक्ष्मणा, प्रनु चंद्रपुरी शिणगार।दोढसें धनु तनु जच्चता, शुचिवरणे शशीअनु. काररे, उतारे जवजल पाररे, करे जनने बहुउपगाररे, दुख दावानल जलधाररे॥ए॥॥ दश लाख पूरव आउखु, व्रत एक सहस परिवार । समेत शिखर शिवपद लघु, ध्यायी शुज ध्यान उदाररे, टाली पातिक विस्ताररे, हुआ जगजनना आधाररे, मुनिजन मन पिक सहकाररे ॥ ए॥३॥ मुनि लाख