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पदानि ।
॥ अथ पदानि ॥ म राजुल संबंधी पढ़ | ॥ राग पंजावी ठेको ॥
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पीया कारण गढ गीरनार चली । राणी राजेमति व्रत चित्त धरी ॥ पी० ॥ १ ॥ अधिक प्रीत रस रीत जानके । नेम प्रिया कर सीर धरी ॥ पी० ॥ २ ॥ तप जप संजम ध्यानानलसें । करम इंधन परजाल चली ॥ पी० ॥ ३ ॥ नेम राजुलकी प्रीत पुराणी । अंतमें ज्योतीसें ज्योत मीली ॥ पी० ॥ ४ ॥ प्रह उगमते दंपती नामे । वीरविजय मन रंग रली ॥ पी० ॥ ५ ॥
॥ पढ़ वीजुं ॥
मोरे मंदिरवा प्रभुजी न आये । नाये ऐसा जडुपति रथ फीराये ना हाथ मिलाये || मो० ॥
कणी || पशुवन प्रभु करुणा कीनी । क्या तकसीर मेनुं बम दीनी ॥ मो० || १ || नव जव केरी प्रीत जो तोमी । सोकन शिव वधूसें दिल जोरी || मो० ॥ २ ॥ राजुल राग द्वेषको ठोकी | संयम लेइ करम बंध तोरी || मो० ॥ ३ ॥ मन
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