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१०० श्रीमद्विजयानंदसूरि कृतदुर्जर क्षण खय जावे रे ॥ चेतन ॥ ६॥ बंधन गये तुंब ज्यू जलमें, बिनकमें ऊर्ध्व हि आवे । आतम निर्मल सुध पद पामी, जनम मरण मिटावेरे ॥ चेतन ॥ ७॥ अथ दशमी धर्म नावना।
॥राग माढ ॥ चेतनजी थाने धर्मनी नावना दाखां जी महाराराज हो चेतन जी०॥आंचली॥धर्म जिनंद बताया जी महारा राजरे कांश, जेहने आलंबी नवोदधिमेंन मुबायाजी महारा राज ॥ चेतन ॥ ॥ १॥ संयम सत्त्व सुहाया जी महारा राजरे कांश, ब्रह्म अकिंचन तप शुचि सरल गिनायाजी महारा राज ॥ चेतन ॥ ॥ खांति मार्दव मुक्तिजी महारा राजरे कांश, दशविध धर्मो वीर जिनंद सुनाया जी महारा राज ॥ चेतन ॥३॥ नरक पमंता राखेजी महारा राजरे कांश, तीर्थकर पद धर्म थकी जग पायाजी हमारा राज ॥ चेतन ॥ ४ ॥ संकटमें सुख आपेजी महारा राजरे कांश, आतमानंदी धर्म अति सुख दायाजी महारा राज ॥ चेतन० ॥५॥