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चौथा अध्ययन
षड्जीवनिका
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*सुना, श्रायुष्मन् । यहाँ आख्यात स्थविर महान् से ।
यो छः जीवनिकाय' नामक अध्ययन मैंने इसे ॥१॥
श्रमण भगवत् वीर काश्यप से प्रवेद्रित है सही ।
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अध्ययन यह श्रेयकर है लिए धर्म का सद्बोधं इसका
सूक्त है प्रज्ञप्त सम्यक् कह रहा तुम से वही || २ ||
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कौन - सा षट्जीव समुदय नाम वह अध्ययन ' है ।' कथित जिसमें श्रमण भगवत् वीर काश्यप वचन हैं ॥४॥
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प्रवेदित प्रज्ञप्त है कल्याणकर उसका पठन । "धर्म" का सद्बोध जिसमे, " करूंगा उसका मनन ||५||
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यह
छजीवनिकाय नामक अध्ययन ' (2) श्रमण भगवंत् वीर काश्यप से
आत्मा के महा । हितकर है कहा ||३||
पठन
-अध्ययन यह श्रेयंकर है लिए आत्मा के महा । 1074 धर्म का संबोध इसका पठन हितकर है कहा ॥७॥
भूमि अप्क़ायिक वनस्पतिकायिक पुन.
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शस्त्र - परिणति के बिना पृथ्वी सचित्त सुकथित है ।
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व तेजो-: वायुकायिक तद्यथा । सकाय प्राणी हैं तथा ॥ ८॥
प्रज्ञप्त है ।
प्रवेदित सूक्त है ॥६॥
हैं अनेको जीव जिनका भिन्न ही अस्तित्व है || ||
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शस्त्र - परिणति के बिना पानी सचित्त सुकथित है । .. .. हैं, अनेको
जीव
जिनका भिन्न
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शस्त्र-परिणति के बिना पावक सचित्त
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ही अस्तित्व है ॥ १० ॥
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कथित है ।
..हैं अनेको जीव जिनका भिन्न ही अस्तित्व है ॥ १ ॥