________________
मंगलाचरण
विघ्न विनाशक, विमलतम, विगत मोह, विश्वेश |
विशद, विबुध, विभु वीर का, करता विनय विशेष ॥ १ ॥ भिक्षु आदि गणपति नवक, जिन प्रतिनिधि गुरुदेव ।
जगदुद्धारक दे मुझे, सन्मति सुगुण सदंव ॥२॥
दशवेकालिक सूत्र यह, प्राकृतमय
प्राकृतमय ग्रनवद्य ।
हिन्दी पद्यो मे इसे, गुम्फित करता सद्य ||३||