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सणतुकुमारचरिउ
[५७०] ता किमित्त वि तुरउ जाहि त्ति चिंतेवि विमुक्कु सिरि- आससेण-कुल-गयण-चंदिण । अह दीहर-सास-भर भरिउ तर्हि जि सो ठिउ खणद्धिण ॥ नणु घिसि घिसि मई एहु तुरउ विवरिय-सिक्खु न नाउ । इय चिंतंतु कुमार-बरु पयडिय-गरुय-विसाउ ।।
[५७१] जा स-हत्थिण सिढिल-पत्ताहु हय-रयणु करेइ लहु ता भमेवि महि-यलि तुरंगमु । बहु-सास-स्सम-हयउ पडि वि हुयउ जम-भवण-संगमु ॥ अह बहुयर-दुह-तविय-तणु आससेण-निव-जाउ । तण्हा-छुहहि किलंतु कह कहमवि फुरिय-विसाउ ॥
[५७२]
पत्तु पत्तल-साह-सहसस्सु सत्तच्छय-पायवह
तल-पएसि जा ता खणद्धिण । अनिरिक्खिय-पुव्य-रवि- ताव-दुक्खु देव्यह निओइण। तइयहं मुच्छ-विलंघलिउ निवडिउ निस्साहारु । अह तक्खणिण वि पेक्खिउण तारिसु सणतुकुमारु || .
[५७३]
भुवण-समहिय-रूव-विहवेण पसरंत-जोव्वण-भरिण विहिय-चारु-सिंगार-अंगिण । । उचिय-प्रणु-चूडामणिण अमय-महुर-मिउ-वयण-चंगिण ॥ अज्जउत्त-पुण्णोवचय- आयइढिइण नरेण । केण वि माणस-सरवरह जल आणिवि स-करेण ॥