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सणतुकुमारचरिउ ।
[५५४]. ' तयणु अग्गिम-मग्गि गच्छंतु आइण्णइ महुर झुणि रायहंस-सारसहं संतिय । पेच्छेइ य कुसुम-फल- पत्त-रिद्धि वण-लय विचित्तिय ।। अंभोरुह-रय-पिंजरिय- मलयाणिल-संगेण । पीणिउ नासा-संषुडिण तह अंगोवंगेण ॥
[५५५] __ हंत निय-निय-विसय-उवलंभवावारिण इह वि महतुट्ट एइ चत्तारि इंदिय । रसणा उण थक्क एह एवमेव तण्हा-छुह दिय॥ 'इय चिंतंतउ सलिल-फल- अहिकंखिरु तूरतु । तीर-पइट्टिय-विविह-वणि माणस-सरि संपत्तु ॥
[५५६] तयणु स-हरिस वण-गइंदु व्य आलोडिवि सयलु सरु. रुइ-पमाणु पाणिउ पिएविणु। जा मुंजइ कुसुम-फल । तीर-सिहरि-सिहरहं गहे विणु ॥
अहरिय-नहयर-पुर-असुर- किन्निर-गेय-निनाउ । - ता जिय-सारस-हंस-सिहि निसुणइ महुरालाउ ॥
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अह - कहेरिसु गीय-उग्गारु निम्मणुय-महाड़यहिं . इय मणम्मि चिंतंतु सायरु ।। ... जा गच्छइ कय-हरिसु अग्गिमम्मि मग्गम्मि तुरियरु ॥
ता तियसासुर-खयर-नर- तरुणहं मणहरणीण । नयण-निमेसिण सुर-बहुहुं वेहम्महं तरुणीण ॥
५५४, ५, क विचित्तय. ५५५. २. क. तुट्ट. ४. क. इहु. ५५७. ५. क. तरुयरु.
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