________________
जेनी पासे दीक्षा लीधी ते गुरुनु नाम उपु०मां शिवगुप्त छे, चम०मां विजयसेन छे, उवृ०मां राधाचार्य छे,* ज्यारे वृको०, कको०, आके वृ०, त्रिश० अने उदो०मां विनयंधर छे. हम०मां ऋषभाचार्य (हने ०मां ऋषभदत्त) छे.
आम सनत्कुमार चरित्रना बीजा घटकनो मुख्य आधार लुप्त उवि० अने तदनुसारी चम० जणाय छे. आ घटक श्वेतांबर परंपरानां चरित्रोमां ज मळे छे. . चरित्रनो पहेलो घटक
सनत्कुमारचरित्रनां पहेला घटकमां सनत्कुमारना पूर्व भवना वृत्तांतमां विक्रमयश राजाए नागदत्त सार्थवाहनी स्त्री विष्णुश्रीन करेलु अपहरण, राजानी राणीओए कामण करीने करेलो विष्णुश्रीनो घात, तेना विकृत शबने जोईने वैराग्य, तपश्चर्या करी मृत्यु पामी सनत्कुमारकल्पमा उत्पन्न थर्बु, नागदत्तनुं पत्नीना अपहरणथी उन्मत्त बनी मृत्यु पाम, विक्रमयशनुं जिनधर्म श्रावक तरीके अवतरवू, नागदत्तनुं अग्निशर्मा तापस तरीके अवतरवू, अग्निशर्माए जिनधर्मनी पीठ पर मूकी धग धागता पात्रमा करेलु भोजन, जिनधर्मनो कायोत्सर्ग करीने देहत्याग, सौधर्मेन्द्र तरीके जन्म अने अग्निशर्मानो तेना वाहन ऐरावत तरीके जन्म, पछी ऐरावतनो अस्तिताक्ष यक्ष तरीके जन्म : आटली घटनाओ छे. कथाना विकासक्रमनी दृष्टिए जोईए तो वहिं०मां सनत्कुमारना पूर्व भवोनो सहेज पण निर्देश नथी. दिगंबर परंपरामां पण मुनि तरीकेनो ज सनत्कुमारनो वृत्तांत होईने उपु०, बृको०, मपु० तेम ज कको०मां पूर्व भवना वृत्तांतनो अभाव छे. श्वेतांबर परंपरामां पहेल प्रथम आपणने धवि०नी रूपरेखामां चन्द्रवेग विद्याधरना कंचुकीए (अर्चिमाली)मुनिए कहेला वृत्तांतने आधारे सनत्कुमारनो पूर्व भव वर्णव्यो होवानो निर्देश छे. ते उपरथी आपणे अटकळ करी शकीए के जयसिंहना उवि०मां ते वृत्तांत सविस्तर अपायो हशे. . ते पछी चम०मां ते तद्दन संक्षेपमां वे पंक्तिमा ज अपायो छे. ते पछी उवृ०मां आपणने सनत्कुमारना पूर्व भवनो सविस्तर वृत्तांत मळे छे. उवृ० ए चम०मांथी आखो ने आखो उतारो आपवा उपरांत चम०मां न होय तेवा केटलाक कथांशो माटे बोजा कोई मूलस्त्रोतनो उपयोग कर्यो छे. आ पूर्व भवना वृत्तांतनी बाबतमां पण एम ज छे. ते उवि० माथी लेवायो हशे के बीजेथी ते चोकस कही शकाय तेम नथी. ते पछी आकोवृए सनत्कुमारचरित्रने हूंकमां ज पताव्यु होवाथी, चम०ने ते अनुसरती होवा छतां, पूर्व भवनी वातने तेणे जती ___* उ०मा 'राहायरिय' छे ते कदाच भ्रष्ट पाठ होय अने शुद्ध पाठ हम०मां छे ते उसहायरियं' होय.