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________________ ७८ नेमिनाहचरिउ [७५० ] अह सहाविय कंति पच्भारतारयालि स सहर - दिवायरु संधिबंध-व्यंग सुंदरु || कय-असरिस सिंगार - विहि परिहिय-देव- दुगुल्लु | निय परियण-सोहिल्ल || बंदि-विंद उरघुट्ट-जसु अवहत्थिय-सुर-असुर निम्माणय-कम्म-कय [७५१] सन्च-अवसर विउल-अस्थाण निय निउत्त- पुरिसेहि स-हरिए । तेर्हि एंति असरिसु ॥ वर-मंडवि उवविसिवि सदावर चक्कड़ हरिसु वहता निय-मणिण किं पुण चक्कत्रइम्मि | सच्चवियम्मि विसेसवर विरइय-सिंगारम्भि | [७५२] अहह घिसि घिसि वि-रसु संसारु एत्तिएव अंतरि इमेरिस । जणिय-वण-सुहिताव- पगरिस || लहु विहलिय-गुह छाय | जमिस्तु वि नरवरह संजाय विसम दस इय परिचिंतिर तियस दु-वि भणिय नरिंदिण - तुम्हि किह दीसह हय-मुह-राय || [७५३] अह पर्वपहि तियस चक्किद किं न नियहि नियय-तणु तु मज्जण कालि गुन नए कि एड गर्णनि free after सिरसि ७२.८ क दिवस वि. दि. जमिह आणि जो कंति-विवरु | एहि तय सहसन्ति नवम ॥ चिनिय नियन्तं जाय । बोटलियं पिवता || [ ७५०
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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