SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७३ ७३३ ] सणतुकुमारचरिउ [७३०] तयणु मागह-गग-वरदामपमुहुत्तिम-तित्थ-जल कुसुम-गंध-ओसहि गहेविणु। जय जय चिरु नर-रयण महियलि त्ति पुणु पुणु भणेविणु ॥ विज्जाहर-नर-सुर-गणिहि मंगलि पयडिज्जंति । मग्गण-सयण-किमिच्छियह इच्छिइ वियरिज्जति ।। [७३१] पडह-मद्दल-तिलिम-हक्काहिं कंसालय-ताल-वर स-वेणि काहलिय-वुक्कहि । वज्जतिर्हि पडु-रविण करडि-भंभ-भेरिय-हुइक्कहि ॥ नहारंभि पयट्टियहिं तर्हि आगंतु खणेण । रंभ-तिलोत्तिम-उव्वसिहि सुर-सामिहि वयणेण ।। [७३२] अइ-महंतिण विहव-जोएण चक्काहिव-रज्ज-अहिसेय-महिम वेसमणु विरइवि । उवसाहइ सुरवइहि पुरउ पुव्य-वुत्तंतु सयलु वि ।। सणतुकुमारु वि नर-रयणु पाविय-चक्कवइत्तु । उवभुंजइ छक्खंड महि असम-सुहामय-सित्तु ॥ [७३३] अवर-वासरि स-परिवारस्सु सोयामिणि-नाडयह रंग-मज्झि सहरिसुवविहह । कय-भूसण-सयल-तणु तियसु एगु ईसाण-कप्पह ॥ नियय-पहा-पसरुवहसिय- सेस-तियस-तणु-कंति । कज्ज-वसिण संपत्तु सुर- सामिहि सविहम्मि त्ति ॥
SR No.010685
Book TitleSantukumar Chariya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages197
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy