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नेमिनाहचरिउ . [७१८]
इय-विचिंतिरु गरुय-चडयरिण कारेवि बद्धावणउं निय-पुरम्मि सयलम्मि निवइण । . निय-रज्जि निवेसिउण कुमर-रयणु पसरत-रिद्धिण | अणुजाणाविवि सुहि-सयण गुरुयण-भत्ति करेवि । चारय-बंध विमोइउण जिणवर सक्कारेवि ॥ . .
[७१९]
कसु वि तारिस-गुरुहु पय-मूलि वहु-नरवइ-सुय-सहिउ स-दइओ वि विस्संभराहि । निसुणेविणु धम्म-कह हियइ धरिवि जिण-वयणु कय-सिवु ॥ संसारिय-सुह-विरय-मणु पडिवज्जिवि चारित्तु । . आससेणु सो राय-रिसि सु-गइहिं गयउ पवित्तु ॥ ...
[७२०]
काल-जोगिण पुण सउण्णेहि भरहेसर-चक्कवइ- विहिण मुहिण छक्खंड-वसुमइ उपसाहिय अणुकमिण परिस-सहस-कालम्मि अइगइ ॥ बहुविह-समर-वसुंधरहं पसरिय-कित्ति-लएण। ... सणतुकुमारिण स-भुय-बल- पाविय-अब्भुदएण ॥
[७२१]
अह सुनंदा-नाम-थी-रयणपमुहाण जयभहिय- पिययमाण चउसटि-सहसहं अच्चम्भुय-भुय-वलहं नरवईण वत्तीस-सहसहं ।। सिंधुर-तुरय-रहाहं पिङ पिहु चउरासी लक्ख । नव निहि चउदह रयण मण-इच्छिय-वियरण-दक्ख ॥ ७२१. ६. क. सहसह.