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विषयानुक्रमणिका
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अध्याय/प्रकरण
विष्य
पृष्ठ संख्या
आत्म-निवेदन
क-ग
1-38
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6
7 - 12
- 15
व्याकरणशास्त्र का इतिहास एवं महत्त्व 1. व्याकरणशास्त्र का मूल स्त्रोत 2. महर्षि पाणिनि से पूर्वभावी व्याकरण प्रवक्ता 3. पाणितीय अष्टाध्यायी में स्मृत आचार्य 4. पाणिनि एवम् उनका व्याकरणशास्त्र 5. अScाध्यायी के वार्तिककार 6. वार्तिकों के भाष्यकार तथा भाष्य का लक्षण 7. अटाध्यायी के वृत्तिकार 8. पाणिनीय व्याकरण के प्रक्रिया ग्रन्धकार
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28 -31
3। -:38
ला सिद्धान्त कौमदी में आए हुए वार्तिकों का समीक्षात्मक अध्ययन
39 - 215
1. संज्ञा प्रकरणम् : अलुवर्णयोर्मियः सावायें वाच्यम् ।
39 - 45
46 - 82
46-49 50-52
53-57
2. संनिप्रकरणम्
।. यणः प्रतियो वाच्यः 2. अवपरिमाणेच 3. दुहिन्यामुपसंख्यानम् 4. प्रादहोटोटयेष्येषु 5. अते व तृतीयासमासे 6. प्रवत्सतर कम्बन वसनाणदशानामृगे 7. शकन्या दिनु पररूपं वाच्यम् A. न ममाले मिति च ....
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