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का ज्ञाता और साहित्यरत्नाकार लिखा है। रामचन्द्र ने अपने ग्रन्ध के निर्माणकाल का उल्लेख नहीं किया ।
____3. विमल सरस्वती ।।400 वि०॥
विमन सरस्वती ने पाणिनीय सूत्रों की प्रयोगानुसारी 'रूपमाला' नाम की व्याख्या लिखी है । इस ग्रन्थ में समस्त पाणिनीय सूत्र व्याख्यात नहीं है । रूपमाला का काल सं0 1400 से प्राचीन माना जाता है । रूपमाला ग्रन्थ में विमल सरस्वती ने अष्टाध्यायी के सूत्रों को विषय का क्रम दिया। पहले प्रत्याहार, संज्ञा और परिभाषा के सूत्रों को और उसके बाद स्वर, प्रकृतिभाव, व्य जन और विसर्ग इन चार भागों में सन्धि के सूत्रों को तथा स्त्री प्रत्यय और कारकों को स्थान दिया। रूपमाला में अख्यात् का प्रकरण विस्तृत है ।
4. शेषकृष्ण ।।475 वि0 के लगभग।
नृसिंह पुत्र शेषकृष्ण ने प्रक्रियाको मुदी की 'प्रकाश' नामी व्याख्या लिखी। यह रामचन्द्र का शिष्य और रामचन्द्र के पुत्र नृसिंह का गुरु था । प्रक्रिया कौमुदी प्रकाश का दूसरा नाम 'प्रक्रिया-कौमुदी-वृत्ति' भी है। इसका सं0 1514 का एक हस्तलेख पूना के पुस्तकालय में सुरक्षित है ।
___5. cोजि दीक्षित
भटो जि दीक्षित ने पाणिनीय व्याकरण पर 'सिद्धान्त कौमुदी' नाम की प्रयोगक्रमानुसारी व्याख्या लिखी है। इससे पूर्व के रूपावतार रूपमाला और प्रक्रिया कौमुदी में अष्टाध्यायी के समस्त सूत्रों का सन्निवेश नहीं था । इस न्यूनता को पूर्ण