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प्रकरण में भी अपिशलि का उल्लेख किया है । आपिशाल व्याकरण प्रसिद्ध व्याकरण
काश्यप
पाणिनि ने अष्टाध्यायी में काश्यप का मत दो स्थानों पर उधृत किया है। वाजसनेय प्रातिशाख्य 4/5 में शाक्टायन के साथ काश्यप का उल्लेख मिलता है । अत: arcाध्यायी और प्रातिशाख्य में उल्लिखित काश्यप एक व्यक्ति है, इसमें कोई भी सन्देह नहीं। काश्यप व्याकरण है - कल्प, छन्दःशास्त्र, आयुर्वेद संहिता, अलइकारशास्त्र इत्यादि ।
गार्य
पाणिनि ने अष्टाध्यायी में गायं का उल्लेख तीन स्थानों पर किया । गाय के अनेक मत समातिमाय और वाजसनेयी प्रातिमाख्य में उपलब्ध होते हैं। उनके सूक्ष्म पर्यवेक्षण से विदित होता है कि गायं का व्याकरण सर्वाइंगपूर्ण था । गार्य व्याकरण है निरुक्त, सामवेद का पदपाठ, शाकल्यतंत्र, लोकायतशास्त्र आदि ।
गालव
पाणिनि ने Asc ध्यायी में गालव का उल्लेख चार स्थानों पर किया है। पुरषोत्तमदेव ने भाषावृत्ति 6/1/07 में गालव का व्याकरण सम्बन्धी एकमत उद्धव किया है । इनसे विस्पष्ट है कि गालव ने व्याकरणशास्त्र रचा था । गालव व्याकरण शास्त्र है - संहिता, ब्राहमा, क्रममाठ, शिक्षा, निरुक्त, कामसूत्र आदि ।