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अपमनो विकारे टिलोप वक्तव्यः ।
'नस्तद्विते 2 वार्तिक सूत्र भाष्य पर 'अधमनो विकार उपसंख्यानम्' वार्तिक का पाठ है । 'अभमन् ' शब्द से 'विकार' अर्थ में जो प्रत्यय उस की परता 'fe' लोप होता है । 'अमनो विकारः आरम: तस्य विकार:- से 'अण् ततः ' इप्त वार्तिक से 'टि' लोप 'अन्' सूत्र से प्रकृतिभाव प्राप्त होने पर 'टि ' लोप के लिए. उक्त वार्तिक का पाठ किया गया है ।
अध्माच्चेति वक्तव्यम्
'धर्मर ति" इस सूत्र भाष्य में 'अामाच्च' वार्तिक का पाठ है । 'अधर्म' शब्द से 'चरति' अर्थ में इस वार्तिक से 'ठ,' प्रत्यय का विधान किया जाता है । अधर्म चरति, धार्मिक: 'येन विधि स्तदन्तस्य' इस 'तदन्त' विधि सूत्र से 'धर्म चरति' सूत्र में 'धर्म' शब्द से 'धर्मान्त' का भी ग्रहण करके 'ठ' प्रत्यय हो जाता । वार्तिक पाठ व्यर्थ है ऐसी का नहीं करनी चाहिए।
I. लघु सिद्धान्त कौमुदी, तद्धित प्रत्यय प्रकरणम् , पृष्ठ १45. 2. अष्टाध्यायी, 6/4/144. 3. वही, 6/3/134. 4. लघु सिद्धान्त कौमुदी, तद्वित प्रत्यय प्रकरणम् , पृष्ठ 952. 5. अष्टाध्यायी, 4/4/41.