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________________ जयमाला। २७ चित्रकलामें उसकी ऐसी निपुणता देखकर प्रायः देशके समस्त चित्रकार मनही-मन उससे द्वेष रखते हैं । परन्तु छविनाथके मनमें ईर्षा-द्वेषका लेश भी नहीं है । उसका मन दूधके समान स्वच्छ है; वह बालकोंके समान सदैव प्रसन्न रहता है। छविनाथ एक उच्च श्रेणीका चित्रकार है। उसकी इस निपुणताको सर्वसाधारण लोग नहीं जान सकते, केवल समस्त चित्रकार ही उसके गुणोंसे परिचित है; परन्तु वे इस बातको प्रकट न करके अपने अपने नामके बढ़ानेहीमें प्राणपणसे चेष्टा करते हैं। छविनाथ चित्र खींचनेहीमें तन्मय रहता है-उसे प्रशंसा पानेकी तिलमात्र भी इच्छा नहीं है। __ एक बार राजसभामें प्रश्न उठा कि देशभरमें सर्वश्रेष्ठ चित्रकार कौन है ? इसका निर्णय करनेके लिए राजाने देशके समस्त चित्रकारोंको निर्दिष्ट समयपर एकत्रित होनेके लिए आज्ञा दी। चित्रकारोंने परस्पर विचार करके निश्चय कर लिया कि देहातके रहनेवाले छविनाथको यह राजाज्ञा किसी तरह विदित न होने पावे । वे लोग यह भली भाँति जानते थे कि यदि चित्रप्रदर्शनमें छविनाथका चित्र आया तो हम लोगोंका आशा-कुसुम मुरझाकर गिर जायगा और उसको ही विजय प्राप्त होगी। धीरे धीरे निर्दिष्ट समय भी आ पहुँचा । सब लोग राजसभामें उपस्थित हुए। केवल छविनाथ ही इस सभामें न आया। राजाने सबको सम्बोधन करके कहा-मैं परीक्षा करना चाहता हूं कि "तुम लोगोंमें सर्वश्रेष्ठ चित्रकार कौन है । इस लिए नववर्षके प्रथम दिन तुम सब लोग एक एक उत्तम चित्र तैयार करके राजसभामें उपस्थित होओ। उन चित्रोंपरसे ही यह निर्णय किया जावेगा। राजाज्ञा सुनकर चित्रकार लोग प्रसन्नतापूर्वक अपने अपने घर लौटे। उन्होंने मन-ही-मन संकल्प किया कि छविनाथको इस बातकी गंध भी न मिलनी चाहिए। एक पांच वर्षका बालक नदीके किनारे खेल रहा है । खेलते खेलते जब वह आगे पीछे दौड़ता है, तब उसके काले काले केश वायुके झोकों से
SR No.010681
Book TitleFulo ka Guccha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1918
Total Pages112
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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