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समाप्ति
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नाव घाटपर आकर लग गई । वहाँसे वृक्षों की घोटमेंसे पूर्व के घरकी पक्की छत दिखलाई देती थी । अपूर्वने अपने श्रनेका समाचार नहीं दिया था, इस कारण उन्हें लेने के लिए कोई घाटपर नहीं आया । नावका मल्लाह उनका 'बेग' लेकर चलनेको उद्यत हुआ; परन्तु उन्होंने उसे रोक कर स्वयं ही बेग उठा लिया और वे आनन्दके आवेश में झट से नीचे उतर पड़े |
उनका नीचे पैर रखना था कि किनारेकी फिसलनेवाली भूमिके कारण वे बेगसमेत कीचड़ में गिर पड़े। वे ज्यों ही गिरे त्यों ही कोई बड़े मीठे स्वरमें खूब जोरसे हँसा जिससे निकटवर्ती बड़पर बैठे हुए पक्षी चौंक उठे ।
पूर्व अत्यन्त लज्जित होकर जल्दीसे उठ बैठे और चारों ओर देखने लगे । देखा कि पास ही ईंटोंका एक ढेर लगा हुआ है और उसीपर बैठी हुई एक लड़की हँसती हँसती लोट पोट हुई जा रही है ।
पूर्वने पहचान लिया कि वह उनकी नई पड़ोसिनकी लड़की मृमयी है । कोई दो ही तीन वर्ष हुए हैं कि यह पड़ोसिन इस गाँव में श्राकर बसी है। पहले उसका घर यहाँसे बहुत दूर एक बड़ी नदीके किनारे था । नदीकी बाढ़ में घर बह जानेके कारण उसे अपना ग्राम छोड़कर यहाँ आना पड़ा है ।
गाँव में इस लड़की की इतनी निन्दा की जाती है कि उसका वर्णन नहीं हो सकता । वहाँ के पुरुष तो उसे स्नेहपूर्वक 'पगली' कहकर पुकारते हैं, पर स्त्रियाँ उसकी उच्छृङ्खलताके कारण सदा ही भीत चिन्तित और शंकान्वित रहती हैं। वह केवल लड़कों के साथ खेलती है, लड़कियोंसे उसे बड़ी ही घृणा है, कभी उनके पास भी नहीं फटकती । शिशु- राज्य उसके उवद्रवोंके मारे मराठा घुड़सवारोंके उपद्रवों के समान तंग है ।