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________________ रहस्यवाद : एक परिचय ५ इसी तरह एक और पद में भी उनकी विरह-व्याकुलता का सुन्दर चित्रण हुआ है : तलफै बिन बालम मोर जिया, दिन नहीं चैन रात नहीं निंदया ॥' 'प्रियतम की राह निहारते-निहारते उनकी आँखें लाल हो गई हैं और लोग समझते हैं कि कबीर की आँखें दुखने लगी हैं।२ प्रियतम से मिलने के लिए आतुर कबीर रूपी प्रियतमा की व्याकुलता में निहित रहस्यभावना काव्य को मार्मिक बना देती है अब मोहि ले चल नणद के वीर, अपने देसा। इन पंचन मिलि लूटी हूँ कुसंग आहि बिदेसा ॥' इस गहन तत्त्व की कथा अकथ्य है : कहै कबीर यह अकथ कथा है, कहतां कही न जाइ । उपर्युक्त उद्धरणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कबीर में साधनात्मक और भावनात्मक रहस्यवाद की धारा सहज रूप में प्रस्फुटित सगुण भक्त कवियों में रहस्यवाद भक्ति-काव्य में न केवल निर्गुण-मार्ग की ज्ञानाश्रयी और प्रेममार्गी शाखाओं में रहस्यवाद का निदर्शन हुआ है, प्रत्युत सगुण शाखा के अन्तर्गत रामभक्त और कृष्णभक्त सन्त-कवियों में भी रहस्यात्मक प्रवृत्ति के दर्शन होते हैं। इनमें प्रमुख रूप से मीराबाई, सूरदास और तुलसीदास का नाम लिया जा सकता है जिनकी रचनाओं में रहस्यवादी भावना अभिव्यक्त हुई है। १. कबीर ग्रन्थावली, पृ० ३९९ । २. अंषड़ियां प्रेम कसाइयां लोग जांण दुषड़ियां । साईं अपणे कारण रोइ रोइ रातड़ियां ॥ -वही, पृ० ९। ३. वही, उद्धृत्-कबीर का रहस्यवाद, पृ० १६३ । ४. वही, पृ० ३७९ ।
SR No.010674
Book TitleAnandghan ka Rahasyavaad
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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