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आनन्दघन का रहस्यवाद
(१) डिवोशनल मिस्टिसिज्म (भक्तिमूलक रहस्यवाद ), (२) इन्टेलेक्चुअल मिस्टिसिज्म (बौद्धिक रहस्यवाद ), (३) एक्टिविटीक मिस्टिसिज्म (क्रियात्मक रहस्यवाद) ।'
'कबीर और जायसी का रहस्यवाद और तुलनात्मक विवेचन' में कबीर और जायसी के अनेकविध रहस्यवादों का उल्लेख किया गया है । उसमें कबीर में तीन प्रकार के रहस्यवाद का निर्देश किया गया है - अनुभूति - मूलक, योगमूलक और अभिव्यक्तिमूलक रहस्यवाद । इसी तरह जायसी में पाँच प्रकार के रहस्यवाद बताए गए हैं - आध्यात्मिक, प्रकृतिमूलक, प्रेममूलक, योगमूलक और अभिव्यक्तिमूलक रहस्यवाद । एस० एन० दासगुप्ता ने 'हिन्दू मिस्टिसिज्म' में रहस्यवाद का एक वर्गीकरण याज्ञिक रहस्यवाद (Sacrificial Mysticism) अथवा कर्म-काण्डात्मक रहस्यवाद के रूप में भी किया है । डा० राजेन्द्र सिंह रायजादा ने 'रहस्यवाद' नामक पुस्तक में रहस्यवाद के विभिन्न रूपों की चर्चा की है । उसमें सर्वप्रथम रहस्यवाद को दो भागों में विभक्त किया गया है – एक प्रेम और ऐक्य का रहस्यवाद तथा दूसरा ज्ञान और समझ का रहस्यवाद । अन्य दृष्टिकोण से उसमें रहस्यवाद के तीन भेद किए गए हैं
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(१) आत्म-रहस्यवाद, (२) ईश्वर-रहस्यवाद, (३) प्रकृति - रहस्यवाद ।
और
इसके अतिरिक्त उसमें साधनात्मक रहस्यवाद, कृतक रहस्यवाद (Pseudo Mysticism) तथा प्रेतात्मा रहस्यवाद का भी उल्लेख किया है । " किन्तु डा० भगवत् स्वरूप मिश्र ने 'कबीर ग्रन्थावली' में रहस्यवाद के मूलतः दो भेदों का ही संकेत किया है
1. Modern Indian Mysticism, p. 38.
२.
'कबीर और जायसी का रहस्यवाद और, तुलनात्मक विवेचन
to गोविन्द त्रिगुणायत, पृ० ६५ ।
३. वही, पृ० २०१ ।
4. Hindu Mysticism, p. 3.
५.
रहस्यवाद, डा० राजेन्द्र सिंह रायजादा, पृ० २४-३१ ।