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________________ 39 १ जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर " व्यक्तित्व एवं कृतित्व राष्ट्रीयता के सन्दर्भ में सामान्य संस्कृति एवं परम्पराओं का बहुत महत्व है। सामान्य संस्कृति का अभिप्राय उन आचार-विचार एवं रीति रिवाजों से है जो एक समूह के मनुष्यों को सूत्र में बांधे रखती है। सांस्कृतिक चेतना के आधार पर ही राष्ट्रीय चेतना विकसित होती है। जैनधर्म की समृद्धिशाली सांस्कृतिक परम्परायें रही हैं। जैन धर्म की मूल सांस्कृति विरासत अहिंसा हमारे राष्ट्रीय आंदोलन का मुख्य आधार रही है। भगवान ऋषभदेव और उनके अनुयायियों का अहिंसा सिद्धांत विश्व को सद्भावना, शांति और मैत्री का पाठ पढ़ाने वाला है। मेरी भावना के पद्य दस में अहिंसा के द्वारा सभी के कल्याण की कामना मुख्तार सा ने की है 'परम अहिंसा धर्म जगत में फैल सर्वहित किया करे। इसी प्रकार भारत की स्वतंत्रता उसका झंडा और कर्तव्य लेख में उन्होंने अहिंसा से ही सभी के कल्याण की बात कही है। जिनपूजाधिकार मीमांसा' लेख उस समय का बहुचर्चित लेख रहा है इसमें मुख्तार सा. ने सभी लोगों को जैन धर्म की उपासना के अधिकार का प्रतिपादन किया है। अपनी और अपनी जाति की आलोचना करना कितना कठिन है इससे सामाजिक बुराईयां दूर होकर कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। जैनियों का अत्याचार' शीर्षक लेख में मुख्तार सा. ने जैनों की कमियां बतायी हैं उन्हें मुख्तार सा. जैसा दबंग व्यक्ति ही लिख सकता था। भाषात्मक एकता राष्ट्रीयता के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाषा किसी जनसमूह के समस्त व्यक्तियों को यह क्षमता प्रदान करती है कि उसके माध्यम से वे अपनी संस्कृति एवं आदर्श सिद्धांतों का आदानप्रदान कर सकें। मुख्तार सा. के निबंध चाहे वे राजनैतिक हों, धार्मिक या सामाजिक हों सभी की भाषा हिन्दी रही है। अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए बहुप्रचलित भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए, यह एक सामान्य सिद्धांत है। मुख्तार सा. का सन् 1917 में लिखा 'सुधार का मूल मंत्र' लेख मानों आज की ही बात कह रहा हो 'यदि आप चाहते हैं कि हिन्दी भाषा का भारत वर्ष में सर्वत्र प्रचार हो जाये और आप उसे राष्ट्र भाषा बनाने की इच्छा
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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