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Pandit Juga: Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
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उपा. मुनि ज्ञानसागर जी की इस ओर अभिरुचि और प्रेरणा, उनके उत्तरदायित्व के अनुकूल है एवं प्रशंसनीय है। जैन साधुओं ने ही इस धर्म की गंगा को, जिनवाणी के अमृत को अविरल अब तक जन-जन तक पहुचायाँ है और आगे पहुँचाने का कार्य भी उनकी दृष्टि में है।
इस संगोष्ठी में विद्वानों के आलेखों के वाचनों द्वारा पं श्री जुगलकिशोर के सम्बन्ध में अनेकों नई-नई बातों का पता लगा। भक्ति दर्दसे भीगकर जब भी उठती है वो बिना एकात्मता की गहराईयों को छुए नहीं रहती। ससार में घिरा प्राणी अपने दुखों की आक्रान्तता को तभी लखता है जब उसके ऊपर विपत्तियों का पर्वत टूटता है। सामान्यत: ऐसा प्राणी (मनुष्य) दो रास्ते सम्मुख पाता है- निराशा मे पढ़कर भागने का अथवा प्रभु के चरणों मे समर्पण का। जब उसे शब्दों और भावों का आधार मिल जाता है तब वह सहज ही दूसरे रास्ते को अपनाता है। प. जी की कृतियो की यही विशेषता है कि वह जनमानस को क्रांतिमय गूंज देती है। इनका प्रकाशन और जन-जन की उपलब्धि, भटकते मानव को पतवार का काम करेगी। अत: उनके 'समग्र' का निर्माण होना चाहिए और उन्हें उनमें 125वे जन्म दिवस पर स्मृति स्वरूप प्रकाश में लाया जाना चाहिए।