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पं जुगलकिशोर मुखार "युगवीर "व्यक्तित्व एवं कृतित्व
संक्षेप में यह आलेख, मुख्तार साहब द्वारा किया गया समन्तभद्र का बहिरंग मूल्याङ्कन है। अन्तरंग मूल्यांकन के लिए समय एवं विस्तार आवश्यक है। क्योंकि समन्तभद्र की एक-एक कारिका में गागर में सागर भरा हुआ है और मुख्तार साहब ने अपनी व्यास-शैली से उसे स्पष्ट करने की पूर्ण कोशिश की है। मुख्तार सा. के आधार पर समन्तभद्र का आन्तरिक मूल्यांकन समन्तभद्रपरिशीलन' नामक अप्रकाशित अपने ग्रन्थ में किया है। मैं इस गोष्ठी की सफलता एवं मुख्तार सा. के प्रति सच्ची श्रद्धाञ्जलि तभी समझूगा जब उन्होंने समन्तभद्र के प्रति जो सपने संजोये थे उन्हें पूर्ण किया जायें।
आधार ग्रन्थ 1 आचार्य समन्तभद्र,
देवागम अपरनाम आप्तमीमांसा, सं अनु पं. जुगलकिशोर मुख्तार, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट दिल्ली 1967 युक्त्यनुशासन, सं अनु. पं जु कि. मुख्तार, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, सरसावा, सहारनपुर, 1951 स्वयम्भूस्तोत्र, सं अनु पं. जु कि मुख्तार, वीर सेवा म ट्रस्ट सरसावा, सहारनपुर, 1951 स्वयम्भूस्तोत्र,सं व्या पं पन्नालाल साहित्याचार्य श्री शान्तिवीर दि जैन संस्थान, श्री महावीर जी, जिनशतक-स्तुतिविद्या, सं अनु पं पन्नालाल साहि., वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट सरसावा, सहारनपुर, 1951 रत्नकरण्ड श्रावकाचार, ,सं पं जु कि. मुख्तार माणिक्यचन्द्र जैन ग्रन्थमाला, हीराबाग, बम्बई 1925 समन्तभद्र ग्रन्थावली, संकलन, डॉ गोकुलचन्द जैन, वीर सेवा मन्दिर वाराणसी,
1989 2. पं. उदयचन्द जैन, आप्तमीमांसा तत्वदीपिका, गणेशवर्णी, दि. जैन संस्थान, नरिया,
वाराणसी, प्र.सं. वीर नि. सं. 2501 3. पं. कैलाशचन्द्र शास्वी, जैन न्याय, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, प्र. सं. 1966 4. डॉ. मोकुल चन्द्र जैन, समन्तभद्र ग्रन्थावलि, अप्रकाशित 5. पं. जुगलकिशोर मुख्तार,
- समीचीन धर्मशास्त्र, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, दिल्ली 1955 - स्वामी समन्तभद्र, जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय हीराबाग, गिरगांव, बम्बई प्र.सं.
1925