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प्रकाशकीय
सन् 1996 में परमपूज्य उपाध्याय श्री 108 ज्ञानसागरजी महाराज के आर्शीर्वाद से विशिष्ठ दार्शनिक ग्रन्थ जो अनुपलब्ध एवं अप्रकाशित थे उनके प्रकाशन हेतु प्राच्य श्रमण भारती का जन्म हुआ इसके तत्वाधान में अभी तक 70 ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं पं. जुगल किशोर मुख्तार "युगवीर " व्यक्तित्व एव कृत्तित्व इक्तहर वाँ ग्रन्थ है पंडित जुगल किशोर मुख्तार साध्य, सहजता, सरलता की प्रतिमूर्ति थे मेरी भावना लिखकर उन्होंने जन-जन को जीवन जीने की कला सिखाई एक-एक पंक्ति का भाव अगर जीवन में अंगीकार हो जाए तो मानव को कभी-भी दुःख एवं अशान्ति का अनुभव नहीं करना पडेगा
मैत्री भाव जगत में मेरा, सब जीवों से नित्य रहे । दीन-दुःखी जीवों पर मेरा, उर से करुणा से स्रोत्र बहे ||
पडित जी साहब सरस्वती के वरद पुत्र थे मेरी भावना में गागर में सागर भरके अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है एवं सबके कल्याण की भावना मेरी भावना में व्यक्त की है
सुखी रहे सब जीव जगत में, कोई कभी न घबरावे ।
बैर पाप अभिमान छोड़कर नित्य नये मंगल गावे ॥
'पंडित जुगल किशोर मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व एव कृत्तित्व के सम्पादक महानुभावों के प्रति हम आभार ज्ञापित करते हैं कि आपने दिन-रातं परिश्रम करके उस महान् जनोपयोगी और ज्ञानोपयोगी कृति को तैयार किया है हमारे सहयोगी श्री मनीष जैन जो प्रकाशन कार्य में रुचि लेते हैं वे भी धन्यवाद के पात्र हैं ।
हम पूज्य गुरुवर उपाध्यायश्री के चरणों में भी नमन करते हैं, उपाध्याय श्री संस्था के सभी पदाधिकारियों को अच्छे कार्य हेतु सदैव प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्रदान करते कहते हैं।
रविन्द्रकुमार जैन (नावले वाले) मंत्री, प्राच्य श्रमण भारती, मुजफ्फरनगर