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________________ 234 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements उमास्वामी के क्षेत्र कालगति लिंग आदि सूत्र का संक्षेप कर सिद्धों' में भेद भी कारणवश किये जा सकते हैं। ऐसा बताया गया है। इस प्रकार प्रभाचन्द्रीय इस तत्वार्थ सूत्र के अनुवाद के सम्पादक श्री मुख्तार साहब ने उमास्वामी के तत्वार्थ सूत्र, स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा, सवार्थसिद्धि, तत्वार्थराजवार्तिक आदि का कथनकर तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है। पं रतनलाल के द्वारा लिखित प्रति में जो अशुद्धियां थीं, उनका शुद्धिकरण किया है। श्वेताम्बरीय तत्वार्थ सूत्र पाठ में भी कहाँ क्या विशेषताएँ है उसे भी प्रकट किया है। इस प्रभाचन्द्रीय तत्वार्थसूत्र को कण्ठस्थ करने वालों की सुवधिा हेतु प्रारम्भ में मूल पाठ भी दे दिया है। इस प्रकार इसका सम्पादन और अनुवाद विविध शास्त्रों के अध्ययन पूर्वक बड़ी सावधानी से किया गया है। सूत्रों को बड़े टाइप में, मूलानुगामी सूत्रार्थ को मध्यम टाइप में तथा विशेष अध्ययन को छोटे टाइप में रखकर इसे अत्यन्त सुगम, सुन्दर बनाने का प्रयत्न किया गया है जो प्रशंसनीय है। सूत्र का जो भी अश सुधारा गया है उसका मूल शब्द नीचे फुट नोट में दे दिया गया है। - छिमा बड़न को चाहिए, छोटिन को उत्पात। -रहीम (दोहावली, ५५) दंड देने की शक्ति होने पर भी दंड न देना सच्ची क्षमा है। -महात्मा गांधी (सर्वोदय, ९८) क्षमा पर मनुष्य का अधिकार है, वह पशु के पास नहीं मिलती। -जयशंकर प्रसाद (स्कंदगुप्त, द्वितीय अंक)
SR No.010670
Book TitleJugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year2003
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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