________________
70
Pandit Jugal Kishor Mukhtar Yugveer" Personality and Achievements
-
सम्मुख बलिष्ठ सिंह खड़ा हो। इस समय आर्तध्यान से पूर्ण में की आवाज निकलती है।
शायद तुमने यह समझ लिया है कि अब हम मारे जायेंगे, इस दुर्बल और दीन दशा में भी नहीं रहने पायेंगे। इसी कारण तुम्हारे हृदय में इस जग से उठ जाने का शोक छाया हुआ है। इसीलिए तुम्हारा प्राण बचाने का यह सब यल है।
पर तुम क्या इस प्रकार बच सकते हो। जरा सोचो तो। तुम्हारा ध्यान कहाँ है? तुम तो निर्बल हो, यह घातक सबल, निष्ठुर और करुणाहीन है। सब जगह स्वार्थ साधना फैल रही है। तुम्हारे लिए न्याय नहीं है जब रक्षक ही भक्षक हो गए हैं तब तुम्हारी फरियाद कौन सुनेगा।
इससे अच्छा यही है कि प्रसन्नतापूर्वक तुम वध्यभूमि में जाकर अपना सिर झुकाकर वधिक की छुरी के नीचे रख दो। उस समय यह कहकर आह भरो कि महावीर के सदृश कोई नया अवतार हो, जो सब जगह दया का सन्देश फैलाए
इससे बेहतर खुशी-खुशी तुम बध्य भूमि को जा करके, वधक-छुरी के नीचे रख दो, निज सिर स्वयं झुका करके। 'आह' भरो उस दम यह कहकर "हो कोई अवतार नया, महावीर के सदृश जगत में फैलाए सर्वत्र दया।"
इसी प्रकार मीन संवाद में भी मछली की पीड़ा का कवि ने हृदय को उद्वेलित करने वाला चित्र खींचा है।
पै मीन ने अन्तिम श्वास खींचा। मैं देखता हाय! खड़ा रहा ही गंजी ध्वनि अम्बर-लोक में यों
'हा! वीर का धर्म नहीं रहा है।' मुख्तार सा. की होली होली है, कविता होली का रंग जमाने के साथसाथ स्वानुभूति की प्रेरणा दे रही है